ओहिना अलसाइत आबैत हेतै शिव कुमार पासवान आ ओहिना अलसाइत खोलैत हेतै पुस्तकालयक ताला ,तहिना आंखि बचबैत गामक लोक सब निकलि जाइत हेथिन खेत ,पोखरि आ गाछी दिस ।शिवकुमार सेहो हाफी लैत पूरब-पच्छिम देखैत हेतै ।आ ई जगह सूतए लेल नीक नइ...ओह किछु लोक बैंकक काज सँ आ सुस्ताबै लेल पुस्तकालयक बेंच पर बैसैत हेथिन ,किछु लोक समै बितबै लेल पूछैत हेथिन शिवकुमार सँ मौसमक हाल ,किछु आदमी ओहिना बातक क्रम बरहेबा लेल पूछैत हेथिन किछु नव छै की ....किछु आदमी डराइत हेथिन जे शिव कुमार पूछि ने दए कि किताब कहिया देबै .....
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